क्या भारत UPI से Global Payment Leader बन सकता है?
परिचय:
भारत में डिजिटल पेमेंट्स की क्रांति का चेहरा बन चुका है UPI (Unified Payments Interface)। अब सवाल ये है — क्या UPI भारत को एक वैश्विक पेमेंट लीडर बना सकता है?
UPI की सफलता की कहानी:
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2024 में भारत में हर महीने 1,200 करोड़ से ज़्यादा UPI ट्रांजैक्शन हो रहे हैं।
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पेटीएम, फोनपे, गूगल पे जैसे ऐप्स ने गाँव-गाँव में UPI को पहुंचाया।
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इसकी सबसे बड़ी खूबी है — instant, free, and secure transactions।
UPI का अंतरराष्ट्रीय विस्तार:
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सिंगापुर, फ्रांस, भूटान, UAE और श्रीलंका जैसे देशों में UPI को एक्सेप्ट किया जा रहा है।
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भारत ने इन देशों के साथ डिजिटल पेमेंट्स के लिए साझेदारी की है।
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NIPL (NPCI International Payments Ltd.) इस विस्तार को आगे बढ़ा रही है।
क्या चुनौतियाँ हैं?
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दूसरे देशों में स्थानीय पेमेंट सिस्टम पहले से मज़बूत हैं।
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साइबर सिक्योरिटी और रेगुलेटरी इश्यूज़ बड़ी बाधा हो सकते हैं।
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डॉलर-आधारित अंतरराष्ट्रीय ट्रांजैक्शन सिस्टम से टक्कर लेना आसान नहीं।
UPI की ताक़त क्या है?
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यह real-time settlement देता है।
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बिना कार्ड या बैंक डिटेल्स के पेमेंट संभव।
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इंटरऑपरेबिलिटी और QR कोड स्कैन की सुविधा।
निष्कर्ष:
UPI न सिर्फ भारत में बल्कि ग्लोबल स्तर पर डिजिटल पेमेंट को सरल और सुरक्षित बना सकता है। अगर भारत सही रणनीति अपनाए और गवर्नमेंट सहयोग बनाए रखे, तो यह संभव है कि UPI के ज़रिए भारत वाकई Global Payment Superpower बन जाए।

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